1. आयुर्वेद में पसीना और शरीर शुद्धि की भूमिकाआयुर्वेद, भारत की प्राचीन चिकित्सा प्रणाली है, जिसमें पसीने (स्वेद) को शरीर से विषाक्त तत्वों को बाहर निकालने का एक महत्वपूर्ण तरीका…
1. मूत्र प्रबंधन का भारतीय पारंपरिक परिप्रेक्ष्यभारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों, जैसे आयुर्वेद और योग, में शरीर की डिटॉक्स प्रक्रिया को बहुत महत्व दिया गया है। इन पद्धतियों के अनुसार,…
मल के आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से महत्वआयुर्वेद में मल (शरीर के अपशिष्ट पदार्थ) को स्वास्थ्य के तीन महत्वपूर्ण उपादानों में से एक माना गया है। मल का संतुलित और नियमित निष्कासन…
1. नीम का परिचय एवं ऐतिहासिक महत्वभारतीय संस्कृति में नीम का धार्मिक, सामाजिक और औषधीय महत्त्वनीम (Azadirachta indica) भारत के सबसे पुराने और बहुप्रयुक्त वृक्षों में से एक है। भारतीय…
1. त्रिफला क्या है?त्रिफला एक पारंपरिक आयुर्वेदिक हर्बल संयोजन है जिसमें तीन प्रमुख फल शामिल होते हैं: आमला (Indian Gooseberry), हरड़ (Haritaki) और बहेड़ा (Bibhitaki)। इन तीनों फलों को सुखाकर…
1. आयुर्वेद में रक्त शुद्धिकरण का सिद्धांतआयुर्वेद में रक्त (Blood) का महत्वभारतीय संस्कृति में, आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को हजारों वर्षों से अपनाया जा रहा है। इसमें रक्त (रक्त धातु) को…
1. नीम, त्रिफला और अजवाइन का परिचयभारतीय संस्कृति में पारंपरिक जड़ी-बूटियों का बहुत महत्व है। इन जड़ी-बूटियों का उपयोग सदियों से आयुर्वेद और घरेलू उपचारों में किया जाता रहा है।…
1. पेट की सफाई का महत्त्व भारतीय आयुर्वेद मेंभारतीय आयुर्वेद में पेट की सफाई यानी डिटॉक्स को स्वास्थ्य का आधार माना जाता है। आयुर्वेद के अनुसार, जब हमारा पेट साफ…
1. आयुर्वेदिक सिद्धांतों में पेट की सफाई का स्थानआयुर्वेद, जो भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति है, शरीर के संतुलन और स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए पेट की सफाई और…