परंपरागत जीभ की सफाई: निघंटु, दातुन और आधुनिक उपाय

परंपरागत जीभ की सफाई: निघंटु, दातुन और आधुनिक उपाय

विषय सूची

जीभ की सफाई की परंपरा और महत्व

भारतीय संस्कृति में स्वच्छता को हमेशा से बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। इसी कड़ी में जीभ की सफाई भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसका उल्लेख प्राचीन ग्रंथों और आयुर्वेद में बार-बार मिलता है। आयुर्वेद के अनुसार, जीभ की सफाई केवल एक स्वच्छता की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह स्वास्थ्य और संपूर्ण कल्याण का एक अनिवार्य अंग है।

भारतीय संस्कृति में जीभ की सफाई का प्राचीन इतिहास

भारत में सदियों से लोग प्राकृतिक साधनों का उपयोग कर जीभ की सफाई करते आए हैं। पुराने समय में नीम या बबूल की दातुन, तांबे या चांदी के स्क्रेपर, और कभी-कभी त्रिफला जैसे हर्बल पाउडर का उपयोग किया जाता था। प्राचीन निघंटु (आयुर्वेदिक ग्रंथ) में भी इस अभ्यास का वर्णन मिलता है।

जीभ की सफाई के पारंपरिक और आधुनिक उपाय

पारंपरिक उपाय आधुनिक उपाय
नीम/बबूल की दातुन टंग क्लीनर (स्टील, प्लास्टिक)
तांबे/चांदी का स्क्रेपर मल्टी-फंक्शन टूथब्रश
हर्बल पाउडर (त्रिफला आदि) माउथवॉश और जेल्स

आयुर्वेद और दैनिक दिनचर्या में इसका स्थान

आयुर्वेदिक दिनचर्या, जिसे “दिनचर्या” कहा जाता है, उसमें हर सुबह उठकर सबसे पहले जीभ की सफाई करने का सुझाव दिया गया है। ऐसा माना जाता है कि रात भर शरीर से टॉक्सिन्स निकलकर जीभ पर जमा हो जाते हैं, जिन्हें हटाना जरूरी होता है। इससे न सिर्फ मुंह की दुर्गंध दूर रहती है, बल्कि पाचन तंत्र भी स्वस्थ रहता है और इम्यून सिस्टम मजबूत बनता है। भारतीय परिवारों में आज भी यह आदत बच्चों को सिखाई जाती है ताकि वे स्वस्थ जीवनशैली अपना सकें।

2. निघंटु (Ayurvedic Tongue Scraper) का परिचय

निघंटु क्या है?

निघंटु आयुर्वेदिक जीभ साफ करने का एक पारंपरिक उपकरण है, जिसका उपयोग भारतीय संस्कृति में सदियों से किया जा रहा है। यह एक पतली, लचीली पट्टी होती है जिसे जीभ पर धीरे-धीरे घुमाकर सफाई की जाती है। आयुर्वेद के अनुसार, निघंटु का नियमित उपयोग शरीर से विषाक्त पदार्थ (टॉक्सिन्स) निकालने और मुँह की दुर्गंध कम करने में मदद करता है।

निघंटु के प्रकार

प्रकार विशेषता
धातु का निघंटु टिकाऊ, बार-बार इस्तेमाल योग्य, पारंपरिक रूप से लोकप्रिय
तांबे का निघंटु एंटी-बैक्टीरियल गुण, रोगाणुओं को मारने में प्रभावी
स्टेनलेस स्टील का निघंटु जंग नहीं लगता, साफ करना आसान, हल्का वजन
प्लास्टिक का निघंटु कम कीमत, हल्का, लेकिन जल्दी खराब हो सकता है

किन धातुओं से बनते हैं?

निघंटु मुख्यतः तांबा (कॉपर), पीतल (ब्रास), चांदी (सिल्वर), और स्टेनलेस स्टील जैसी धातुओं से बनाए जाते हैं। प्रत्येक धातु के अपने स्वास्थ्य लाभ होते हैं—जैसे तांबा एंटी-बैक्टीरियल होता है और पारंपरिक रूप से सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है। स्टेनलेस स्टील भी बहुत लोकप्रिय है क्योंकि यह टिकाऊ और आसानी से उपलब्ध रहता है।

निघंटु के प्रयोग का पारंपरिक तरीका
  1. सुबह उठकर सबसे पहले बिना कुछ खाए या पिए निघंटु लें।
  2. जीभ को बाहर निकालें और निघंटु को दोनों हाथों से पकड़कर जीभ के पिछले हिस्से पर रखें।
  3. धीरे-धीरे हल्के दबाव के साथ निघंटु को सामने की ओर खींचें। यह प्रक्रिया 5-7 बार दोहराएं।
  4. प्रत्येक बार इस्तेमाल के बाद निघंटु को पानी से अच्छे से धो लें। यदि तांबे या पीतल का हो तो समय-समय पर नींबू या नमक से भी साफ कर सकते हैं।
  5. इसके बाद दाँतों की सफाई करें या मुँह धो लें।

इस तरह निघंटु का रोज़ाना उपयोग करने से मुँह की सफाई अच्छी रहती है और स्वास्थ्य भी बेहतर रहता है। भारतीय घरों में आज भी यह परंपरा बड़ों द्वारा बच्चों को सिखाई जाती है ताकि वे स्वस्थ जीवनशैली अपना सकें।

दातुन और प्राकृतिक प्रसाधनों का उपयोग

3. दातुन और प्राकृतिक प्रसाधनों का उपयोग

भारतीय ग्रामीण जीवन में मौखिक स्वच्छता के लिए सदियों से दातुन का इस्तेमाल किया जाता है। दातुन, खासतौर पर नीम और बबूल की टहनियों से बनाई जाती है, जो न सिर्फ दाँतों को साफ करती हैं बल्कि मुँह की बदबू, मसूड़ों की समस्या और बैक्टीरिया से भी बचाव करती हैं।

नीम और बबूल दातुन के लाभ

दातुन का प्रकार लाभ प्रचलित क्षेत्र
नीम एंटी-बैक्टीरियल, मसूड़ों को मजबूत बनाता है, सांस को ताजा रखता है उत्तर भारत, मध्य भारत
बबूल दाँतों को सफेद करता है, मसूड़ों को स्वस्थ रखता है, दर्द में राहत देता है पश्चिमी भारत, राजस्थान, गुजरात
करंज/अर्जुन मुँह की सफाई और ताजगी के लिए लोकप्रिय दक्षिण भारत

दातुन कैसे करें?

  • सुबह उठते ही ताजा टहनी लें (लगभग 15-20 सेंटीमीटर)।
  • टहनी के एक सिरे को चबा कर ब्रश जैसा बना लें।
  • इसी सिरे से दाँतों और जीभ की हल्के हाथ से सफाई करें।
  • इसके बाद मुंह को पानी से अच्छे से धो लें।

अन्य प्राकृतिक मौखिक स्वच्छता उपाय

  • निगुंटु (जीभ खुरचने वाला): पीतल, तांबे या स्टील का निगुंटु जीभ की सफाई के लिए रोज़ इस्तेमाल किया जाता है। इससे मुँह की दुर्गंध कम होती है और जीभ पर जमी गंदगी निकलती है।
  • लौंग या इलायची: मुँह की बदबू दूर करने के लिए लौंग या इलायची चबाना आम बात है। यह पेट व मुँह दोनों की ताजगी बनाए रखता है।
  • सरसों का तेल और नमक: दाँतों व मसूड़ों पर सरसों का तेल और थोड़ा सा नमक लगाने से वे मजबूत होते हैं और सूजन भी कम होती है। यह तरीका आज भी कई परिवारों में प्रचलित है।
ग्रामीण भारत में आज भी क्यों लोकप्रिय हैं ये उपाय?

इन पारंपरिक उपायों की सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये आसानी से उपलब्ध हैं, सस्ते हैं, रसायन-मुक्त हैं और पीढ़ियों से आजमाए हुए हैं। गाँवों में लोग आज भी ब्रश-पेस्ट के बजाय दातुन, निगुंटु व अन्य घरेलू उपायों पर भरोसा करते हैं क्योंकि इनका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता और ये पूरी तरह प्राकृतिक होते हैं। साथ ही ये पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित विकल्प माने जाते हैं।

4. आधुनिक जीभ की सफाई के उपकरण और तरीक़े

आजकल, परंपरागत निघंटु और दातुन के साथ-साथ बाजार में कई आधुनिक टंग क्लीनर और जीभ की सफाई के अन्य साधन उपलब्ध हैं। भारतीय संस्कृति में जहां पहले घर में बनी चीज़ों का उपयोग होता था, अब लोग स्वच्छता को लेकर अधिक जागरूक हो गए हैं और नई तकनीकों की ओर बढ़ रहे हैं।

बाज़ार में मिलने वाले आधुनिक टंग क्लीनर

उपकरण का नाम सामग्री मुख्य विशेषताएँ
स्टेनलेस स्टील टंग क्लीनर स्टील मजबूत, साफ करना आसान, दीर्घकालिक इस्तेमाल के लिए उपयुक्त
प्लास्टिक टंग क्लीनर प्लास्टिक हल्का, सस्ता, बच्चों के लिए सुरक्षित विकल्प
कॉपर टंग स्क्रैपर (तांबे का) तांबा प्राकृतिक एंटी-बैक्टीरियल गुण, आयुर्वेदिक दृष्टि से लाभकारी
सिलिकॉन टंग क्लीनर ब्रश सिलिकॉन मुलायम ब्रिसल्स, संवेदनशील जीभ के लिए अच्छा विकल्प

आधुनिक तरीक़े और समसामयिक उपाय

  • इलेक्ट्रिक टंग क्लीनर: ये बैटरी से चलते हैं और कंपन के माध्यम से जीभ की सफाई करते हैं। समय बचाते हैं और गहरी सफाई देते हैं।
  • मल्टी-फंक्शनल ब्रश: कुछ टूथब्रश के पीछे जीभ साफ करने वाला पैड भी होता है, जिससे एक ही समय में दांत और जीभ दोनों की सफाई संभव है।
  • माउथवॉश: एल्कोहल-फ्री माउथवॉश भी जीभ पर मौजूद बैक्टीरिया को खत्म करने में सहायक होते हैं। इन्हें सीधे जीभ पर उपयोग किया जा सकता है।
  • डेंटल वाइप्स: ये मुलायम कपड़े जैसे होते हैं जिनसे हल्के हाथ से जीभ पोंछी जाती है, खासकर बच्चों या बुजुर्गों के लिए अच्छे हैं।
  • हर्बल समाधान: बाजार में नीम या तुलसी युक्त हर्बल टंग क्लीनर भी उपलब्ध हैं जो प्राकृतिक तरीके से मुंह की सफाई करते हैं।

जीभ की सफाई करते समय ध्यान देने योग्य बातें

  • हर रोज़ सुबह-सुबह जीभ की सफाई करें।
  • टंग क्लीनर का इस्तेमाल हल्के हाथ से करें ताकि जीभ को नुकसान न पहुँचे।
  • उपकरण को हर इस्तेमाल के बाद अच्छी तरह धोकर सुखा लें।
  • अगर किसी प्रकार की एलर्जी या तकलीफ हो तो चिकित्सक से सलाह लें।
आधुनिक उपाय अपनाकर स्वस्थ जीवन की ओर कदम बढ़ाएँ!

5. संपूर्ण मौखिक स्वच्छता के लिए समन्वित दृष्टिकोण

जीभ की सफाई का महत्व

भारत में परंपरागत रूप से जीभ की सफाई को मौखिक स्वच्छता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। रोज सुबह निघंटु (जीभ साफ करने का उपकरण) या दातुन से जीभ साफ करना आम बात है। इससे न केवल मुंह की दुर्गंध दूर होती है, बल्कि पाचन तंत्र भी बेहतर रहता है और मुंह में हानिकारक बैक्टीरिया की वृद्धि भी कम होती है।

मौखिक स्वच्छता की संपूर्ण दिनचर्या

क्रम कार्य उपयोगी उपकरण/विधि लाभ
1 ब्रश करना टूथब्रश व आयुर्वेदिक दातुन (नीम/बबूल) दांतों की सफाई और मसूड़ों की मजबूती
2 जीभ की सफाई निघंटु या तांबे/स्टील का स्क्रेपर मुंह की गंदगी व बैक्टीरिया हटाना, ताजगी महसूस करना
3 कुल्ला करना गुनगुना पानी या हर्बल माउथवॉश बचे हुए कणों को हटाना, मुंह को तरोताजा रखना
4 फ्लॉसिंग (अगर संभव हो) डेंटल फ्लॉस या पतला धागा दांतों के बीच फंसे कण निकालना
5 तेल पुलिंग (आयुर्वेदिक उपाय) तिल/नारियल तेल से कुल्ला करना बैक्टीरिया हटाना, मसूड़ों को पोषण देना

जीभ की सफाई को दैनिक दिनचर्या में कैसे अपनाएं?

  • सुबह उठते ही: सबसे पहले जीभ को निघंटु या स्क्रेपर से हल्के हाथों से साफ करें। इससे रातभर जमा हुई परत हट जाएगी।
  • ब्रश करने के बाद: दांतों और मसूड़ों की सफाई के बाद जीभ साफ करना न भूलें। यह आदत आपके पूरे परिवार में डालें।
  • साफ-सुथरे उपकरण: निघंटु या स्क्रेपर को हर बार इस्तेमाल के बाद अच्छे से धोकर रखें। तांबा, स्टील या प्लास्टिक में से कोई भी चुन सकते हैं।
  • साप्ताहिक देखभाल: सप्ताह में एक बार अपने स्क्रेपर को उबालकर सैनिटाइज करें।

स्वास्थ्य लाभ जो आपको मिल सकते हैं:

  • मुंह की बदबू कम होगी;
  • पाचन क्रिया सुधरेगी;
  • मुंह के रोगों का खतरा घटेगा;
  • स्वस्थ और ताजगी भरा अहसास मिलेगा;
अपनाइए भारत की पारंपरिक मौखिक स्वच्छता विधियां और रखिए अपना मुंह हमेशा स्वस्थ!